Mysore Palace में नए साल की आतिशबाजी रद्द, जानें क्यों?
नई दिल्ली, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद कर्नाटक सरकार ने उनके सम्मान में कई बड़े आयोजनों को रद्द कर दिया है। इस संदर्भ में मैसूर पैलेस में होने वाला नए साल का जश्न भी रद्द कर दिया गया है। हर साल Mysore Palace में नए साल के मौके पर भव्य आतिशबाजी, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और रोशनी का आयोजन किया जाता था, लेकिन इस वर्ष, शोक व्यक्त करने के लिए यह आयोजन स्थगित किया गया।
Mysore Palace में नए साल का जश्न
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Mysore Palace में हर साल नए साल का स्वागत बड़ी धूमधाम से किया जाता है। यहां पर आतिशबाजी, संगीत कार्यक्रम और लाखों की संख्या में लोग उपस्थित होते हैं। मगर इस साल की स्थिति कुछ अलग है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद, मैसूर पैलेस बोर्ड ने नए साल के जश्न के सभी आयोजनों को रद्द कर दिया। इस फैसले के पीछे सरकार और जनता की तरफ से दी जा रही श्रद्धांजलि और शोक का कारण था।
आतिशबाजी और सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, Mysore Palace में पुलिस बैंड द्वारा रात 11 बजे से प्रदर्शन और 12:00 बजे से 12:15 बजे तक आतिशबाजी का आयोजन होने वाला था। लेकिन मनमोहन सिंह के निधन के कारण इसे रद्द कर दिया गया। हालांकि, एक अच्छी खबर यह है कि 21 दिसंबर से शुरू हुआ पुष्प शो जनता के लिए खुला रहेगा, जो 31 दिसंबर तक जारी रहेगा। इस शो में लोग सुंदर फूलों की प्रदर्शनी का आनंद ले सकते हैं, जो सुबह 10:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहेगा।
मनमोहन सिंह का योगदान और श्रद्धांजलि
मनमोहन सिंह का निधन 92 वर्ष की आयु में हुआ, और उनकी मौत के बाद कर्नाटका में सात दिन का शोक घोषित किया गया। कांग्रेस पार्टी और कर्नाटका सरकार ने उनके योगदान को याद करते हुए कई कार्यक्रम रद्द किए हैं। इसके तहत बेलगाम अधिवेशन का शताब्दी कार्यक्रम भी रद्द कर दिया गया था, जिसे भव्य तरीके से आयोजित किया जाने वाला था।
राष्ट्रीय शोक और सरकारी घोषणाएं
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी एक महत्वपूर्ण घोषणा की थी कि पूरे देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक मनाया जाएगा। इस दौरान सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। यह शोक देशभर में मनाया जाएगा, ताकि लोग पूर्व प्रधानमंत्री के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।
मनमोहन सिंह के कार्यकाल की विशेषताएँ
मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल 2004 से 2014 तक रहा। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर मजबूत किया। उनके कार्यकाल में भारत ने कई अहम आर्थिक सुधार किए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की स्थिति को मजबूत किया। वे हमेशा अपनी शांतिपूर्ण और विचारशील नीति के लिए प्रसिद्ध रहे।