National Language Of India: नई दिल्ली, भारत के प्रसिद्ध ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान एक बयान दिया, जिसने हिंदी भाषा को लेकर विवाद उत्पन्न कर दिया है। अश्विन ने कहा कि हिंदी देश की राष्ट्रीय भाषा नहीं है, बल्कि केवल एक आधिकारिक भाषा है। यह बयान उन्होंने एक निजी कॉलेज के दीक्षांत समारोह में छात्रों से बात करते हुए दिया। इस दौरान उन्होंने छात्रों से पूछा कि वे उनसे किस भाषा में संवाद करना चाहेंगे।
चयन के लिए छात्रों की प्रतिक्रियाएं
जब आर अश्विन ने छात्रों से संवाद की भाषा का चुनाव करने को कहा, तो कुछ छात्रों ने अंग्रेजी को प्राथमिकता दी, जबकि जब उन्होंने तमिल में संवाद करने का विकल्प दिया, तो उन्हें भारी समर्थन मिला। हालांकि, जब उन्होंने हिंदी को चुने जाने का सुझाव दिया, तो छात्रों की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई। इस पर आर अश्विन ने कहा, “हिंदी – कोई प्रतिक्रिया नहीं। मैंने सोचा कि मैं कहूंगा कि यह (हिंदी) हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है बल्कि एक आधिकारिक भाषा है।”
हिंदी को लेकर अश्विन का विवादास्पद रुख
आर अश्विन का यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने साफ तौर पर यह कहा कि हिंदी को केवल एक आधिकारिक भाषा माना जाना चाहिए, जबकि तमिल और अन्य भारतीय भाषाओं को भी उतनी ही महत्ता मिलनी चाहिए। उनकी यह टिप्पणी उन लोगों के लिए चौंकाने वाली रही, जो हिंदी को भारतीय संस्कृति और भाषा का अभिन्न हिस्सा मानते हैं।
हिंदी और तमिल के बीच चुनाव
अश्विन का यह बयान यह भी दर्शाता है कि वह तमिल को भारतीय भाषाओं में उच्च स्थान देते हैं। तमिल उनके लिए मातृभाषा है और उनका मानना है कि तमिल की महत्ता को अन्य भाषाओं के मुकाबले कहीं अधिक समझा जाना चाहिए। इस बयान के बाद, तमिलनाडु में उन्हें व्यापक समर्थन मिला, जहां के लोग अपने मातृभाषा के प्रति अपनी सगाई को लेकर काफी जागरूक हैं।
क्या यह बयान भारतीय भाषाओं को लेकर नफरत को बढ़ावा देता है?
अश्विन का बयान भले ही कुछ लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण प्रतीत हो, लेकिन कई लोग इसे भारतीय भाषाओं के प्रति अधिक सम्मान और समझ का हिस्सा मानते हैं। यह चर्चा इस ओर इशारा करती है कि देश में भाषाई विविधता को सम्मान देना कितना महत्वपूर्ण है। ऐसे समय में, जब भारतीय भाषाओं को लेकर कई तरह के विवाद होते हैं, अश्विन का यह बयान एक नया मोड़ ला सकता है।