Mrs Movie: नई दिल्ली, हर लड़की अपने जीवन में एक बड़ा बदलाव तब महसूस करती है जब वह ‘मिस’ से ‘मिसेज’ बन जाती है। यह बदलाव उसके लिए नए अनुभव, जिम्मेदारियां और उम्मीदें लेकर आता है। लेकिन क्या होगा अगर यह सफर उसके सपनों को कुचलकर, उसे सिर्फ एक आदर्श बहू और पत्नी बनने की सीख देकर खत्म कर दिया जाए? ZEE5 की नई फिल्म ‘Mrs‘, सान्या मल्होत्रा की मुख्य भूमिका में, इसी गंभीर मुद्दे को उजागर करती है।
‘Mrs’ की कहानी: सपनों और सच्चाई के बीच फंसी ऋचा
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फिल्म की कहानी ऋचा (सान्या मल्होत्रा) की है, जो एक अरेंज मैरिज के ज़रिए दिवाकर (निशांत दहिया) से शादी करती है। शादी के बाद वह एक खुशहाल जीवन की उम्मीद करती है, लेकिन जल्द ही उसे समझ आ जाता है कि उसकी जिंदगी केवल घर के कामों और जिम्मेदारियों तक सीमित होकर रह गई है। उसका परिवार उसे बहू से ज्यादा एक ‘सेवा करने वाली महिला’ समझता है।
ऋचा की सास उसे हर छोटी बात पर टोकती है, ससुर चाहते हैं कि वह पुराने रीति-रिवाजों को ही माने और उसका पति उसे केवल अपनी इच्छाओं को पूरा करने वाला एक माध्यम मानता है। यह सब देखकर ऋचा का मनोबल टूटने लगता है और वह खुद से सवाल करने लगती है कि क्या शादी के बाद उसका खुद का कोई अस्तित्व नहीं बचा?
पितृसत्ता की जंजीरों में जकड़ी नारी
फिल्म एक बहुत कड़वी सच्चाई को सामने लाती है – समाज में फैली पितृसत्ता केवल पुरुषों द्वारा ही नहीं, बल्कि महिलाओं द्वारा भी कायम रखी जाती है। ऋचा की सास खुद वर्षों से इन्हीं परंपराओं का पालन करती आई हैं और अब वही उम्मीद अपनी बहू से रखती हैं। उन्हें लगता है कि यही जीवन का सही तरीका है, इसलिए वह ऋचा से भी वही चाहती हैं।
यह स्थिति सिर्फ ऋचा के ससुराल तक सीमित नहीं रहती। जब वह अपनी मां से मदद मांगती है, तो उसे वही पुरानी सलाह मिलती है – “एडजस्ट कर लो।” यह दिखाता है कि पीढ़ियों से महिलाएं इसी सोच को अपनाती आ रही हैं, और यही परंपराएं लड़कियों को अपने हक की आवाज उठाने से रोकती हैं।
सान्या मल्होत्रा का दमदार अभिनय
फिल्म में सान्या मल्होत्रा ने ऋचा के किरदार को बेहद सशक्त रूप से निभाया है। उनके हाव-भाव, उनकी आंखों में झलकता दर्द, और उनके अंदर उठ रहे सवाल – सब कुछ बहुत स्वाभाविक लगता है। निशांत दहिया भी अपने किरदार में पूरी तरह फिट बैठते हैं। उनका किरदार एक ऐसे पति का है, जो दिखने में भले ही सभ्य लगता हो, लेकिन उसकी सोच पूरी तरह से पितृसत्तात्मक है।
क्या ‘Mrs Movie’ बदलाव ला सकती है?
फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि समाज का आईना है। यह दिखाती है कि कैसे लड़कियों को शादी के बाद अपनी इच्छाओं और सपनों को मारकर सिर्फ दूसरों की खुशियों के लिए जीना सिखाया जाता है। फिल्म यह सवाल उठाती है – क्या शादी का मतलब सिर्फ एडजस्टमेंट होता है? क्या एक लड़की का खुद के लिए खड़े होना गलत है?
‘श्रीमती’ एक ऐसी फिल्म है जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। यह उन अनगिनत महिलाओं की आवाज़ है जो चुपचाप इस दर्द को सहती हैं, बिना किसी शिकायत के। अगर इस तरह की कहानियां ज्यादा लोगों तक पहुंचें, तो शायद समाज में बदलाव आ सकता है।