Martin Luther King: संघर्ष की एक ऐसी कहानी जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे!
नई दिल्ली, Martin Luther King, एक प्रमुख अमेरिकी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, जिन्होंने अपनी आवाज और कार्यों से नस्लवाद और असमानता के खिलाफ संघर्ष किया, आज भी दुनिया भर में सम्मानित हैं। उनका नाम संयुक्त राज्य अमेरिका में समानता और न्याय के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। इस पादरी और सामाजिक कार्यकर्ता ने ना केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया में मानवाधिकारों और अहिंसा के लिए एक मिसाल पेश की।
Martin Luther King की जीवनी
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Martin Luther King का जन्म 15 जनवरी 1929 को अटलांटा, जॉर्जिया, यूएसए में हुआ था। उनके पिता एक बैपटिस्ट पादरी थे, जो उनके जीवन और कार्यों पर गहरा प्रभाव डालने वाले थे। किंग ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अटलांटा के मोरहाउस कॉलेज से प्राप्त की। 15 वर्ष की आयु में ही उन्होंने नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले संगठन “नेशनल एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ कलर्ड पीपल” से जुड़कर अपनी यात्रा की शुरुआत की।
Martin Luther King ने पेंसिल्वेनिया में क्रोज़र थियोलॉजिकल सेमिनरी से धर्मशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में बोस्टन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। 1954 में, वे मोंटगोमरी, अलबामा में एक बैपटिस्ट चर्च के पादरी बन गए और वहां नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करना शुरू किया। उन्होंने नागरिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए कई अभियानों का नेतृत्व किया, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण 1956 में अलबामा राज्य के अलगाव कानून को असंवैधानिक घोषित करने की जीत थी।
महात्मा गांधी से प्रेरणा
Martin Luther King ने महात्मा गांधी के अहिंसक प्रतिरोध के विचारों से प्रेरणा ली। किंग का मानना था कि अहिंसा ही स्वतंत्रता प्राप्ति का एकमात्र सही तरीका है। उन्होंने गांधी के विचारों को अपनाते हुए नागरिक अधिकारों की लड़ााई शुरू की और अमेरिका में नस्लीय भेदभाव को समाप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए। उनका प्रसिद्ध “आई हैव अ ड्रीम” भाषण अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
किंग की राजनीतिक गतिविधियां और संघर्ष
Martin Luther King का संघर्ष केवल नस्लवाद तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने अमेरिका में गरीबी, बेरोजगारी और अन्य सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया। 1963 में, उन्होंने अलबामा में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और बर्मिंघम जेल से लिखे गए पत्र में अपनी रणनीतियों को स्पष्ट किया।
1964 में, किंग को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसमें उन्होंने अहिंसा और मानवाधिकारों के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पुनः व्यक्त किया। इसी साल, अमेरिकी कांग्रेस ने नागरिक अधिकार अधिनियम पारित किया, जिसमें नस्ल, धर्म, रंग और लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त कर दिया गया।
किंग की हत्या और उसकी विरासत
Martin Luther King की हत्या 1968 में एक नस्लवादी स्नाइपर द्वारा मेम्फिस, टेनेसी में की गई। उनकी हत्या के बावजूद, उनका संघर्ष जारी रहा और उनके विचार आज भी दुनिया भर में प्रभावी हैं। किंग की विरासत को सम्मानित करने के लिए उनकी जयंती 20 जनवरी को संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाई जाती है।
उनके कार्य और विचारों ने न केवल अमेरिकी समाज को बदलने में मदद की, बल्कि यह दुनिया भर के सामाजिक न्याय आंदोलनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।
ट्रम्प का मार्टिन लूथर किंग का उल्लेख
हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने भाषण में Martin Luther King का उल्लेख किया और उनके संघर्ष के महत्व को स्वीकार किया। ट्रम्प ने यह भी घोषणा की कि वह मार्टिन लूथर किंग की हत्या से संबंधित सभी अभिलेखों को सार्वजनिक करेंगे, ताकि जनता को इस ऐतिहासिक घटना के बारे में अधिक जानकारी मिल सके।