‘डांसिंग प्लेग’ यूरोप की रहस्यमयी बीमारी जिसमे लोग मौत होने तक नाचते ही रहते थे

0

सन 1518 में यूरोप में ‘डांसिंग प्लेग’ नाम की एक ऐसी बीमारी सामने आई थी जिसमें लोग लगातार नाचते रहते थे जब तक उनकी जान न चली जाए. इस डांसिंग मेनिया से ग्रसित लोगों को आस-पास की किसी भी गतिविधि से फर्क नहीं पड़ता था. देखते ही देखते ये नाचने वाली बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया.

नाचने की ये अनोखी बीमारी सुनने में किसी डरावनी काल्पनिक कथा जैसी लगती है लेकिन ये सच्ची घटना थी जिसकी सच्चाई का प्रमाण कई लोगों ने प्रस्तुत किया है. आइये जानते है इस नाचने वाली रहस्यमयी बीमारी से जुड़े रहस्यों को :

Sponsored Ad

‘डांसिंग प्लेग’ बीमारी का रहस्य

आप रेंडमली किसी को सड़क पर नाचते देखेंगे तो आपका क्या रिएक्शन होगा? आप उस व्यक्ति को पागल या मानसिक रूप से बीमार मानेंगे. ऐसी ही एक अजीबोगरीब घटना जुलाई 1518 में रोमन साम्राज्य के स्ट्रॉसबर्ग शहर में सामने आयी. एक महिला, जिसका नाम फ़्रॉउ था, अचानक अपने घर से नाचते- नाचते सडक पर आ गई और लगातार नाचती रही. उस युवती को इस तरह नाचते देख, लोगों की भीड़ इक्कठा हो गई.

उसे नाचने से रोकने आये लोग भी उसके साथ नाचने लगे. देखते ही देखते स्ट्रॉसबर्ग शहर की सड़को पर सैकड़ों लोग नाचने लगे. ये लोग तब तक नहीं रुकते थे जब तक ये थककर जमीन पर गिर ना जाए और थोड़ा आराम करने के बाद फिर नाचना शुरू कर देते थे. उस समय इस घटना को देख कर लोग इसे किसी शैतानी शक्ति का प्रभाव समझने लगे।

वहाँ की सिटी अथॉरिटी के लिए ये घटना चिंता का विषय बन गयी. परीक्षण के बाद कुछ विशेषज्ञ्यों ने सिटी अथॉरिटी को बताया कि इन लोगों का खून गरम हो गया है और जब तक खून गरम रहेगा ये ऐसे ही नाचते रहेंगे. तब सिटी अथॉरिटी ने गिल्डहाउस को डांसिंग रूम में बदल दिया. प्रोफेशनल डांसर्स के साथ हारमोनियम और बांसुरी की व्यवस्था की गयी. सड़कों पर नाच रहे लोगों को डांसिंग हॉल में लाया गया और उन्हें डांस करने के लिए छोड़ दिया गया. देखते ही देखते वहाँ नाचते-नाचते सैकड़ों लोगों की जान चली गयी.

Sponsored Ad

Sponsored Ad

ये नाचने वाली बीमारी लगभग दो महीनो के बाद एक दिन सुबह अचानक खत्म हो गयी. इतिहासकारों ने इस डांसिंग मेनिया को ‘डांसिंग प्लेग’ का नाम दिया गया.

‘डांसिंग प्लेग’ को जादू-टोना से जोड़ा गया

gadget uncle desktop ad

एक्सपर्टस के मुताबिक उस समय में यूरोप में इस तरह की घटनाऐं कई बार देखे गई थीं लेकिन उस समय इस नाचने वाली बीमारी को किसी भूत प्रेत की साया माना जाता था. कई लोग इसे तंत्र साधना का नकारात्मक प्रभाव भी मानते है. उस समय यूरोप इस प्रकार की कुरीतियों से भरा था, जहाँ लोग भूत प्रेत और डायन जैसे अंधविश्वासों से ग्रसित थे लेकिन बाद में वैज्ञानिकों ने इसे मनोविज्ञान से जोड़कर देखा और इस नाचने वाली बीमारी ‘डांसिंग प्लेग’ से जुड़े कई रहस्यों का खुलासा किया.

स्ट्रॉसबर्ग में हुई इस घटना को कई लोग ‘कॉलेक्टिव हिस्टेरिया’ भी मानते हैं. उनके मुताबिक 1518 में स्टार्सबर्ग के लोग गरीबी, भुखमरी, बीमारी और आध्यात्मिक निराशा से जूझ रहे थे. संभवतः ये नर्तक अवचेतन की अवस्था में थे, क्योंकि अगर ये नहीं होता तो वो इतनी देर तक नाच नहीं पाते.

Source : wikipedia

Leave A Reply

Your email address will not be published.