Guillain-Barre Syndrome से पुणे में पहली मौत, जानिए कैसे बचा जा सकता है?

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नई दिल्ली, Guillain-Barre Syndrome (GBS) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। इसके कारण अचानक मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनी, और गंभीर मामलों में पक्षाघात हो सकता है। यह स्थिति किसी को भी प्रभावित कर सकती है, लेकिन इसके सही कारण का अभी तक पता नहीं चला है।

पुणे में GBS के मामले और पहली मौत

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महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने रविवार को बताया कि पुणे में Guillain-Barre Syndrome से जुड़ी पहली मौत दर्ज की गई है। राज्य में अब तक इस बीमारी के 101 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। सोलापुर में संदिग्ध GBS से हुई पहली मौत ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है।

कैसे शुरू हुआ यह प्रकोप?

9 जनवरी को पुणे क्लस्टर में पहला संदिग्ध मामला दर्ज किया गया था। टेस्ट रिपोर्ट में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला है, जो GBS के लगभग एक-तिहाई मामलों का कारण बनता है। पुणे के खड़कवासला बांध के पास एक कुएं में ई. कोली बैक्टीरिया का उच्च स्तर पाया गया है, जो पानी को संदिग्ध बना रहा है।

GBS के लक्षण और प्रभाव

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Guillain-Barre Syndrome (GBS) के लक्षण अचानक दिखाई देते हैं और तेजी से बढ़ते हैं। यह कमजोरी पैरों से शुरू होकर हाथों और चेहरे तक फैल सकती है। गंभीर मामलों में मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है और वेंटिलेशन की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, 80% मरीज बिना सहायता के छह महीनों के भीतर चलने लगते हैं।

इलाज और खर्च

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Guillain-Barre Syndrome का इलाज काफी महंगा है। मरीजों को इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन का कोर्स चाहिए होता है, जिसमें हर इंजेक्शन की कीमत लगभग ₹20,000 होती है। कुछ मरीजों को इलाज के लिए लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

सरकार का बड़ा फैसला

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने घोषणा की है कि पुणे, पिंपरी-चिंचवाड़, और ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को मुफ्त इलाज दिया जाएगा। पिंपरी-चिंचवाड़ के मरीजों का इलाज वाईसीएम अस्पताल में, पुणे नगर निगम क्षेत्र के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में, और ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों का इलाज ससून अस्पताल में होगा।

डॉक्टरों और प्रशासन की तैयारी

स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस प्रकोप पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए 25,000 से अधिक घरों का सर्वेक्षण किया है। इसके अलावा, प्रभावित क्षेत्रों के पानी और भोजन की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। पुणे के स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. राजेंद्र भोसले ने बताया कि अब तक 64 मरीजों का इलाज किया जा चुका है, जिनमें से 13 वेंटिलेटर पर हैं।

सावधानियां और सलाह

निवासियों को पानी को उबालकर पीने और खाने को अच्छे से पकाने की सलाह दी गई है। यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि संदिग्ध पानी के स्रोतों का उपयोग न किया जाए।

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