क्या Vishwanathan Anand का रिकॉर्ड टूटेगा? प्रगनानंद और गुकेश ने किया जबरदस्त प्रदर्शन

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नई दिल्ली, भारत के युवा ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रगनानंद ने टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट 2025 के खिताबी मुकाबले में अपने ही हमवतन विश्व चैंपियन गुकेश डोमराजू को हराकर जीत दर्ज की। यह मुकाबला बेहद रोमांचक रहा और अंतिम फैसला टाईब्रेकर के जरिए हुआ, जिसमें प्रगनानंद ने शानदार खेल दिखाते हुए 2-1 से जीत हासिल की।

Vishwanathan Anand की खास प्रतिक्रिया

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इस मुकाबले के बाद भारतीय शतरंज के दिग्गज ग्रैंडमास्टर Vishwanathan Anand ने दोनों खिलाड़ियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मुकाबला भारतीय शतरंज के लिए गर्व की बात है और दोनों युवा खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। हालांकि, Vishwanathan Anand खुद को हल्का मजाक करने से नहीं रोक सके और अपनी उपलब्धियों की भी याद दिलाई।

Vishwanathan Anand का पांच बार खिताब जीतने का रिकॉर्ड

टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट में Vishwanathan Anand का नाम इतिहास में दर्ज है। उन्होंने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट को कुल पांच बार (1989, 1998, 2003, 2004, 2006) जीता है। इसमें से तीन बार उन्होंने खिताब साझा किया। आनंद के पांच खिताब किसी भी भारतीय खिलाड़ी द्वारा सर्वाधिक हैं और वे मैग्नस कार्लसन के आठ खिताबों के बाद दूसरे स्थान पर हैं।

कैसे जीता प्रगनानंद ने टाईब्रेकर?

फाइनल मुकाबले में प्रगनानंद शुरुआत में पिछड़ गए थे, लेकिन उन्होंने जबरदस्त वापसी की। पहले गेम में हार के बाद उन्होंने अगले दो गेम जीतकर टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम कर लिया। यह दिखाता है कि दबाव की स्थिति में भी उनका आत्मविश्वास और खेल का स्तर ऊंचा रहा।

गुकेश का शानदार सफर, लेकिन फिर मिली हार

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गुकेश डोमराजू ने भी इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया था और अंतिम राउंड तक प्रगनानंद के बराबरी पर थे। हालांकि, लगातार दूसरे साल उन्हें टाईब्रेकर में हार का सामना करना पड़ा। विश्वनाथन आनंद ने उनके खेल की तारीफ करते हुए कहा कि हाल ही में विश्व चैंपियन बने गुकेश अभी भी उतने ही ‘भूखे’ (जुनूनी) हैं और आगे भी कई बड़ी उपलब्धियां हासिल करेंगे।

शतरंज में भारत का बढ़ता दबदबा

इस टूर्नामेंट के फाइनल में दो भारतीय खिलाड़ियों का आमना-सामना होना यह दिखाता है कि भारत अब शतरंज की दुनिया में एक महाशक्ति बनता जा रहा है। पहले जहां भारत को सिर्फ Vishwanathan Anand की वजह से जाना जाता था, अब कई युवा ग्रैंडमास्टर भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं।

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