Why Indian Team Wear Black Band Today: नई दिल्ली, भारत में क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों में से एक, पद्माकर शिवलकर का हाल ही में निधन हो गया। उनके निधन पर भारतीय क्रिकेट टीम ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के सेमीफाइनल मुकाबले में काली पट्टी बांधकर श्रद्धांजलि अर्पित की। बीसीसीआई ने भी इस दुखद खबर को साझा किया और सोशल मीडिया पर बताया कि शिवलकर के सम्मान में यह कदम उठाया गया।
पद्माकर शिवलकर: एक अज्ञात किंतु महान स्पिनर
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पद्माकर शिवलकर भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे सितारे थे, जिन्होंने कभी राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व नहीं किया, लेकिन उनकी स्पिन गेंदबाजी की कला को हर क्रिकेट प्रेमी ने सराहा। शिवलकर ने 1961-62 से लेकर 1987-88 तक 124 प्रथम श्रेणी मैच खेले और 19.69 की औसत से 589 विकेट लिए। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से क्रिकेट जगत में अपनी पहचान बनाई और उन्हें सर्वकालिक बेहतरीन स्पिनरों में से एक माना जाता है।
शिवलकर का रणजी ट्रॉफी में शानदार करियर
पद्माकर शिवलकर ने 22 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया और 48 साल की उम्र में क्रिकेट से संन्यास लिया। उनका करियर लंबा और शानदार था, जिसमें उन्होंने मुंबई क्रिकेट को बहुत कुछ दिया। उनके योगदान को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने हमेशा याद रखा और माना कि उनका समर्पण और कौशल मुंबई क्रिकेट की सफलता के लिए अहम था।
सभी के दिलों में बसा रहेगा उनका योगदान
शिवलकर का निधन क्रिकेट जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष, अजिंक्य नाइक ने कहा, “पद्माकर शिवलकर का योगदान हमेशा याद किया जाएगा। उनका समर्पण, कौशल और प्रभाव हमेशा मुंबई क्रिकेट पर रहेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि क्रिकेट के प्रति उनकी निष्ठा और उनकी विशेष गेंदबाजी शैली ने मुंबई को कई मैचों में जीत दिलाई।
सुनील गावस्कर की श्रद्धांजलि
भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने भी पद्माकर शिवलकर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बताया कि जब वे भारतीय टीम के कप्तान थे, तब उन्हें इस बात का अफसोस था कि वे शिवलकर को राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं दिला सके। गावस्कर के मुताबिक, शिवलकर उन खिलाड़ियों में से थे जो किसी भी समय भारत के लिए खेल सकते थे और उनके बिना क्रिकेट टीम का खेल अधूरा था। शिवलकर का समर्पण और उनकी गेंदबाजी की तकनीक आज भी क्रिकेट जगत में अनमोल है।
कुल मिलाकर एक महान करियर और विरासत
पद्माकर शिवलकर के निधन से क्रिकेट की दुनिया एक महान खिलाड़ी को खो बैठी है, जिनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी गेंदबाजी की शैली और उनके खेल में लगे समर्पण ने क्रिकेट प्रेमियों को प्रेरित किया। उनकी विरासत हमेशा याद रखी जाएगी, और भारतीय क्रिकेट के इतिहास में उनका नाम हमेशा उज्जवल रहेगा।