नई दिल्ली, भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच और पूर्व दिग्गज खिलाड़ी Pullela Gopichand का हाल ही में दिया गया बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन गया है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि मध्यमवर्गीय परिवारों को अपने बच्चों को खेल में करियर बनाने के लिए प्रेरित करने से पहले अच्छे से सोचना चाहिए। उनकी इस राय को लेकर कई लोगों ने आलोचना की, जबकि कुछ ने इसे हकीकत से जुड़ा बताया।
क्या कहा था Pullela Gopichand ने?
Sponsored Ad
Pullela Gopichand ने 19 फरवरी 2025 को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि अगर किसी परिवार की मासिक आय करीब दो लाख रुपये है, तो वह अपने बच्चे को खेल में भेजने का जोखिम क्यों उठाएगा? उन्होंने कहा कि खेलों में बहुत अनिश्चितता होती है, और हर युवा खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर या पीवी सिंधु नहीं बन सकता। उन्होंने मध्यमवर्गीय परिवारों को यह सलाह दी कि अगर उनके पास पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं हैं, तो उन्हें बच्चों को इस क्षेत्र में धकेलने से बचना चाहिए।
सोशल मीडिया पर भड़के लोग
Pullela Gopichand के इस बयान को सुनकर सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कई लोगों ने इसे खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को तोड़ने वाला बयान बताया, जबकि कुछ ने इसे एक व्यावहारिक सलाह माना। ज़ेरोधा के सीईओ नितिन कामथ ने गोपीचंद की इस सोच से असहमति जताई और कहा कि अगर कोई खेल में सफल नहीं होता है, तो भी उसके लिए कई अन्य करियर विकल्प खुले होते हैं।
कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे क्षेत्र में काम करता है जिसे वह पसंद नहीं करता, तो वह उसमें औसत से भी कम प्रदर्शन करेगा। एआई-ड्रिवन दुनिया में, यह समस्या और गंभीर हो जाएगी।”
क्या Pullela Gopichand का बयान सही है?
Pullela Gopichand की इस टिप्पणी को लेकर लोगों की राय बंटी हुई है। कई लोगों का मानना है कि हर खेल प्रेमी को आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि खेलों में असफलता के बाद करियर के अन्य विकल्प सीमित होते हैं।
हालांकि, गोपीचंद के छात्र और बैडमिंटन खिलाड़ी पारुपल्ली कश्यप उनके समर्थन में आगे आए। उन्होंने कहा कि उनके कोच ने किसी को खेल से रोकने की कोशिश नहीं की, बल्कि वे खेल प्रणाली की खामियों को उजागर कर रहे थे।
भारत में खेल और आर्थिक चुनौतियां
भारत में क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में आर्थिक सुरक्षा की गैर-यथार्थवादी उम्मीदें रखना मुश्किल हो सकता है। कई खिलाड़ी सालों तक मेहनत करते हैं, लेकिन सफलता हासिल नहीं कर पाते। ऐसे में उनके लिए बैकअप करियर का कोई ठोस विकल्प नहीं होता।
कश्यप ने एक्स पर लिखा,
“गोपी सर का बयान भारत के खेल तंत्र की सच्चाई को दर्शाता है। यह सही है कि शीर्ष स्तर तक नहीं पहुंच पाने वाले एथलीटों के लिए कोई सुरक्षा जाल नहीं है।”