नई दिल्ली, भारत के सबसे बेहतरीन स्पिनरों में से एक, Padmakar Shivalkar का सोमवार को निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे और उनकी मौत उम्र संबंधित समस्याओं के कारण हुई। Padmakar Shivalkar ने भारतीय क्रिकेट में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई, हालांकि वह कभी भी भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन पाए। उनके योगदान को क्रिकेट प्रेमी हमेशा याद करेंगे।
Padmakar Shivalkar का क्रिकेट करियर
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Padmakar Shivalkar ने 1961-62 से लेकर 1987-88 तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 124 मैच खेले और इस दौरान 19.69 की औसत से कुल 589 विकेट झटके। उनका यह प्रदर्शन उन्हें एक महान स्पिनर के रूप में स्थापित करता है। खास बात यह है कि शिवलकर ने रणजी ट्रॉफी में 361 विकेट लिए और 11 बार उन्होंने एक मैच में 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी दर्ज किया। बाएं हाथ के इस स्पिनर ने अपने करियर के शुरुआती दिनों से ही अपनी गेंदबाजी कौशल का लोहा मनवाया।
मुंबई क्रिकेट के लिए योगदान
शिवलकर का नाम मुंबई क्रिकेट के दिग्गजों में गिना जाता है। उन्होंने तीन दशकों तक मुंबई के लिए खेलते हुए न केवल अपनी गेंदबाजी से प्रभावित किया, बल्कि मुंबई क्रिकेट की सफलता में भी अहम भूमिका निभाई। उनके द्वारा खेले गए 124 प्रथम श्रेणी मैचों में कई अहम विकेट शामिल थे। उनका रिकॉर्ड और प्रदर्शन हमेशा याद रखा जाएगा।
Padmakar Shivalkar का समर्पण और प्रभाव
मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के अध्यक्ष अजिंक्य नाइक ने शिवलकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “मुंबई क्रिकेट ने एक सच्चे दिग्गज को खो दिया है। उनका खेल में योगदान और समर्पण हमेशा याद किया जाएगा। उनका प्रभाव अद्वितीय था। उनका जाना क्रिकेट जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।”
सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
2017 में Padmakar Shivalkar को भारतीय क्रिकेट बोर्ड द्वारा सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उनकी क्रिकेट यात्रा और योगदान का प्रतीक था। शिवलकर का समर्पण और कठिन मेहनत उनके करियर के दौरान हमेशा देखने को मिला। हालांकि, वह कभी भी भारतीय राष्ट्रीय टीम का हिस्सा नहीं बन सके, लेकिन उनका रिकॉर्ड घरेलू क्रिकेट में अद्वितीय था।
मुंबई में महत्वपूर्ण योगदान
शिवलकर ने मुंबई के लिए कई अहम जीत दिलाई और मुंबई के क्रिकेट प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह शिवाजी पार्क जिमखाना के एक अहम खिलाड़ी रहे, जहां उनके योगदान ने मुंबई क्रिकेट को नया दिशा दिया। शिवलकर की गेंदबाजी का जादू मुंबई के क्रिकेट को ऊंचाइयों तक ले गया।
एक सच्चे क्रिकेट गुरु के रूप में शिवलकर
शिवलकर का योगदान केवल मैदान तक सीमित नहीं था। अपने सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने रणजी ट्रॉफी में मुंबई टीम को कोचिंग दी और कई युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन दिया। उनका अनुभव और क्रिकेट ज्ञान युवाओं के लिए अनमोल धरोहर था। उन्होंने क्रिकेट को एक नई दिशा दी और युवा खिलाड़ियों को सही दिशा में प्रशिक्षित किया।