सिर्फ Finland ही नहीं! जानें दुनिया के टॉप 10 खुशहाल देशों के बारे में

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नई दिल्ली, हर साल 20 मार्च को इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस (The International Day of Happiness) मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र की पहल पर शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य यह बताना है कि प्रगति का मतलब केवल आर्थिक विकास नहीं होता, बल्कि लोगों की खुशी भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन को मनाने का मकसद दुनिया भर के लोगों को खुश रहने और खुशियों को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करना है। हर साल की तरह, इस बार भी एक वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें दुनिया के सबसे खुशहाल देशों का आकलन किया गया।

Finland फिर से दुनिया का सबसे खुशहाल देश

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इस बार की रिपोर्ट में Finland को लगातार आठवीं बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश माना गया। रिपोर्ट में 140 से अधिक देशों के निवासियों से उनकी जीवन गुणवत्ता के बारे में राय ली गई। इसमें विभिन्न कारकों को शामिल किया गया, जैसे – स्वास्थ्य, सोशल सपोर्ट, स्वतंत्रता, उदारता, भ्रष्टाचार, और सकल घरेलू उत्पाद (GDP)। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए फिनलैंड ने अन्य देशों को पीछे छोड़ते हुए अपना स्थान बरकरार रखा।

दुनिया के सबसे खुशहाल देश: टॉप 10 देशों की लिस्ट

Finland के बाद डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन, और नीदरलैंड जैसे देशों ने अपनी जगह बनाई है। इन देशों में लोगों की जीवन गुणवत्ता और खुशी का स्तर बहुत अधिक है। यह रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि अमेरिका इस बार 24वें नंबर पर है, जो अब तक की सबसे निचली रैंकिंग है। ब्रिटेन 23वें स्थान पर है, जबकि भारत ने इस बार सुधार करते हुए अपनी स्थिति को ऊंचा किया है।

भारत की स्थिति में सुधार

भारत ने इस बार वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में अच्छा प्रदर्शन किया है। वर्ष 2025 की रिपोर्ट में भारत ने 118वें स्थान पर जगह बनाई, जबकि पिछले साल वह 126वें स्थान पर था। यह भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि इससे यह साबित होता है कि देश में खुश रहने की स्थिति में सुधार हो रहा है। हालांकि, भारत अब भी युद्ध प्रभावित देशों जैसे यूक्रेन, मोजाम्बिक, और इराक से पीछे है।

पड़ोसी देशों की स्थिति

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भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति पर भी ध्यान दिया गया है। नेपाल इस रिपोर्ट में सबसे ऊपर है, जो 92वें स्थान पर है। इसके बाद पाकिस्तान 109वें, चीन 68वें और श्रीलंका और बांग्लादेश क्रमशः 133 और 134वें स्थान पर हैं। इससे यह साफ होता है कि भारत के पड़ोसी देशों के मुकाबले स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन अभी भी सुधार की आवश्यकता है।

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