Jalaj Saxena: घरेलू क्रिकेट का किंग, लेकिन भारतीय टीम में जगह क्यों नहीं?

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नई दिल्ली, भारतीय घरेलू क्रिकेट में जब भी दिग्गज ऑलराउंडर्स की बात होती है, तो Jalaj Saxena का नाम जरूर लिया जाता है। दिसंबर 2005 में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू करने वाले जलज आज भी उसी जोश के साथ मैदान पर उतरते हैं, जैसे उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में किया था। दिलचस्प बात यह है कि रणजी ट्रॉफी में उनसे ज्यादा विकेट किसी अन्य गेंदबाज ने नहीं लिए हैं।

इस साल के सीजन की शुरुआत में Jalaj Saxena ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। वह रणजी ट्रॉफी में 6000 रन और 400 विकेट का डबल पूरा करने वाले पहले खिलाड़ी बने। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि वह सिर्फ एक शानदार गेंदबाज ही नहीं, बल्कि बेहतरीन बल्लेबाज भी हैं।

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38 साल की उम्र में भी Jalaj Saxena का जुनून बरकरार

लगभग 7000 प्रथम श्रेणी रन, 478 विकेट और 34 बार पांच विकेट लेने का कारनामा करने वाले Jalaj Saxena से जब उनकी प्रेरणा के बारे में पूछा गया, तो उनका जवाब बेहद दिलचस्प था। उन्होंने कहा,
“मैं इस खेल से प्यार करता हूं और इसे लंबे समय तक खेलना चाहता हूं। मैंने कभी भारतीय टीम के लिए नहीं खेला, लेकिन यह आग अभी भी बाकी है। प्रोफेशनल क्रिकेटर के रूप में अगर आपके अंदर यह जुनून नहीं होता, तो आप लंबे समय तक टिक नहीं सकते।”

38 साल की उम्र में भी Jalaj Saxena का सपना भारतीय टीम के लिए खेलने का है। हालांकि, उन्हें पता है कि अब यह असंभव के समान है, लेकिन यह सपना ही उन्हें हर दिन बेहतर बनने के लिए प्रेरित करता है।

क्या कभी इस संघर्ष पर सवाल उठते हैं?

जब जलज से पूछा गया कि क्या उन्हें कभी अपने संघर्ष पर आश्चर्य होता है, तो उन्होंने कहा कि यह किसी के खिलाफ लड़ाई नहीं है। वह सिर्फ अपने लिए खेल रहे हैं और खुद को लगातार बेहतर बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा,
“मैं किसी को कुछ साबित करने के लिए नहीं खेलता, बल्कि अपनी खुशी और जुनून के लिए खेलता हूं।”

लगभग 150 प्रथम श्रेणी मैच खेल चुके जलज इसे अपने करियर का सबसे बड़ा सौभाग्य मानते हैं। वह इस बात को लेकर ज्यादा नहीं सोचते कि भारतीय टीम में उनका चयन क्यों नहीं हुआ। उनके मुताबिक,
“अगर मैं इस बारे में ज्यादा सोचने लगूं तो वही दबाव और तनाव फिर से हावी हो जाएगा, जिससे मैंने हमेशा बचने की कोशिश की है।”

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माता-पिता की प्रेरणा और 400 विकेट का ऐतिहासिक लम्हा

जब जलज ने रणजी ट्रॉफी में 400 विकेट पूरे किए, तो यह लम्हा उनके लिए बेहद खास था, क्योंकि पहली बार उनके माता-पिता स्टेडियम में उन्हें खेलते हुए देखने आए थे। उन्होंने कहा,
“यह ऐसा मैच था, जहां मुझे पता था कि मेरे पास मौका है। मैं खुश हूं कि उन्होंने इसे अपनी आंखों से देखा।”

उनके पिता आज भी उन्हें कड़ी मेहनत करने और खुद को भारतीय टीम के लिए तैयार रखने के लिए प्रेरित करते हैं। जलज का मानना है कि उनके पिता के अनुशासन ने ही उन्हें इतने लंबे समय तक क्रिकेट खेलने की हिम्मत दी है।

Jalaj Saxena: भारतीय क्रिकेट का अनसंग हीरो

भारतीय क्रिकेट में कई खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बावजूद नेशनल टीम में जगह नहीं बना पाते। जलज सक्सेना भी ऐसे ही खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्होंने रणजी ट्रॉफी में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए, लेकिन भारतीय टीम की जर्सी पहनने का सपना पूरा नहीं कर पाए।

हालांकि, उनकी कहानी सिर्फ भारतीय टीम में चयन न होने तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसे खिलाड़ी की कहानी है, जिसने क्रिकेट के प्रति अपने जुनून को कभी मरने नहीं दिया और आज भी मैदान पर उसी जोश के साथ उतरते हैं, जैसे उन्होंने 19 साल पहले डेब्यू करते वक्त किया था।

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