Full Moon: इस दिसंबर की पूर्णिमा में होंगे तीन शानदार खगोलीय घटनाएँ, जाने क्या है खास!
Full Moon: नई दिल्ली, दिसंबर 2024 की पूर्णिमा 15 दिसंबर को होगी, और यह पूर्णिमा खास है क्योंकि यह कई अनोखी घटनाओं का हिस्सा बन रही है। 15 दिसंबर को सुबह 4:02 बजे यह चंद्रमा पूरी तरह से प्रकाशित होगा, लेकिन यह 14 दिसंबर से लेकर 16 दिसंबर तक भी पूरी तरह दिखाई देगा।
यह पूर्णिमा तीन सुपरमून के बाद आई है, लेकिन यह एक सामान्य आकार का चंद्रमा होगा। हालांकि, इस बार यह चंद्रमा एक विशेष खगोलीय घटना का हिस्सा है। इस पूर्णिमा का जो खास पहलू है, वह है इसकी स्थिति। लॉस एंजिल्स के ग्रिफ़िथ वेधशाला के अनुसार, यह चंद्रमा “क्षितिज पर सबसे उत्तरी और दक्षिणी स्थानों” से उगेगा और अस्त होगा, और यह घटना केवल हर 18.6 साल में ही होती है। इस घटना को “प्रमुख चंद्र गतिरोध” कहा जाता है, जिसे समझने के लिए हमें चंद्रमा और सूर्य की गति को जानना जरूरी है।
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क्यों होती है यह प्रमुख चंद्र गतिरोध?
स्पेस डॉट कॉम के मुताबिक, यह खगोलीय घटना इस वजह से होती है क्योंकि चंद्रमा सूर्य के समान पथ का अनुसरण नहीं करता है। पृथ्वी और चंद्रमा की गति के कारण, चंद्रमा का उदय और अस्त होने का स्थान लगातार बदलता रहता है। इस कारण, जब चंद्रमा इस विशेष स्थिति में आता है, तो यह क्षितिज पर बहुत ही अलग स्थानों से उगता और अस्त होता है।
दिसंबर की पूर्णिमा के दिलचस्प नाम
किसान पंचांग के अनुसार, दिसंबर की पूर्णिमा को अक्सर “ठंडा चंद्रमा” कहा जाता है, क्योंकि यह वर्ष का वह समय होता है जब ठंड शुरू हो जाती है। इसके अलावा, इसे “क्रिसमस चंद्रमा” या “लंबी रात का चंद्रमा” भी कहा जाता है, क्योंकि यह साल की सबसे लंबी रातों में से एक के दौरान उगता है। इसके अलावा, कुछ जनजातियों और समुदायों में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे:
- “ड्रिफ्ट क्लियरिंग मून” (क्री)
- “फ्रॉस्ट एक्सप्लोडिंग ट्रीज़ मून” (क्री)
- “स्नो मून” (हैडा, चेरोकी)
- “विंटर मेकर मून” (वेस्टर्न अबेनाकी)
ये नाम इस बात को दर्शाते हैं कि चंद्रमा का यह समय मौसम और प्राकृतिक घटनाओं से कैसे जुड़ा होता है।
क्या आप टूटते हुए तारे देख पाएंगे?
पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की चमक के कारण तारों को देखना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप आकाश में कुछ रोमांचक नहीं देख पाएंगे। दिसंबर में जेमिनिड उल्कापात हो रहा है, जो एक शानदार उल्का वर्षा है। यह उल्कापात 13 दिसंबर को अपने चरम पर था, और यह पूरे दिसंबर तक जारी रहेगा। इस उल्का वर्षा के दौरान, आपको आकाश में टूटते हुए तारे नजर आ सकते हैं।
जेमिनिड उल्कापात 3200 फेथॉन नामक क्षुद्रग्रह से उत्पन्न होता है, जो इस वर्षा का मुख्य कारण है। स्पेस डॉट कॉम के अनुसार, एक अंधेरी रात में, आप प्रति घंटे 50 से अधिक उल्काएँ देख सकते हैं, और कुछ रातों में यह संख्या 120 तक भी पहुंच सकती है।
पूर्णिमा के दौरान मंगल ग्रह का ग्रहण
दिसंबर की पूर्णिमा के दौरान एक और दिलचस्प घटना घटने वाली है। यह पूर्णिमा मंगल ग्रह को ग्रहण करेगी। हालांकि यह घटना केवल मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगी, लेकिन यह खगोलशास्त्रियों और आकाश प्रेमियों के लिए एक अनोखा दृश्य होगा। इस दौरान चंद्रमा मंगल ग्रह को ढक लेगा, जो एक बेहद दुर्लभ घटना है।