Ashwin Yardi: वीकेंड पर काम मत करो! कैपजेमिनी CEO ने कर्मचारियों के लिए दिया बड़ा संदेश
नई दिल्ली, हाल ही में, कई बड़े उद्योगपतियों ने काम के घंटों को लेकर अपने विचार रखे हैं। इन्फोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने की बात कही थी, वहीं लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने इसे 90 घंटे तक बढ़ाने का सुझाव दिया। इन बयानों ने कर्मचारियों के बीच चिंता बढ़ा दी थी। लेकिन अब कैपजेमिनी इंडिया के सीईओ Ashwin Yardi ने इस बहस में एक नया दृष्टिकोण पेश किया है।
हफ्ते में 47.5 घंटे काम काफी
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नैसकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम में एक कर्मचारी ने Ashwin Yardi से सवाल किया कि हफ्ते में आदर्श रूप से कितने घंटे काम करना चाहिए? इस पर उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि 47.5 घंटे का वर्कवीक पर्याप्त है। उन्होंने बताया कि हर दिन 9 घंटे काम करने से 5 दिनों में 47.5 घंटे पूरे हो जाते हैं, और यह किसी भी कर्मचारी के लिए पर्याप्त कार्यकाल है।
वीकेंड पर काम करने की जरूरत नहीं
Ashwin Yardi ने यह भी बताया कि वह पिछले चार साल से वीकेंड पर कर्मचारियों को मेल न भेजने की पॉलिसी पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वीकेंड काम करने के लिए नहीं, बल्कि आराम, स्वास्थ्य और परिवार के साथ समय बिताने के लिए होना चाहिए। उनके अनुसार, यह संतुलन कर्मचारियों की उत्पादकता और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है।
क्या कहते हैं अन्य उद्योगपति?
Ashwin Yardi का यह बयान तब आया है जब कुछ समय पहले नारायण मूर्ति और एसएन सुब्रह्मण्यन ने लंबे वर्किंग आवर्स की वकालत की थी। मूर्ति ने कहा था कि भारतीय युवाओं को चीन और जापान की तरह आगे बढ़ने के लिए हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। वहीं, सुब्रह्मण्यन ने इसे और आगे बढ़ाकर 90 घंटे प्रति सप्ताह करने की सलाह दी थी। लेकिन इस तरह के सुझावों का कई उद्योगपतियों ने विरोध किया और इसे कर्मचारियों के लिए अनुचित करार दिया।
Ashwin Yardi कौन हैं?
Ashwin Yardi 2001 से कैपजेमिनी इंडिया के साथ जुड़े हुए हैं। वह 2018 में कैपजेमिनी इंडिया के सीईओ बने और ग्रुप एग्जीक्यूटिव कमिटी के सदस्य भी हैं। इससे पहले, उन्होंने कंपनी में मुख्य संचालन अधिकारी (COO) के रूप में भी काम किया। उनकी नेतृत्व क्षमता और कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण के कारण उन्हें उद्योग में काफी सम्मान प्राप्त है।
क्या वाकई कम घंटे काम करने से उत्पादकता बढ़ सकती है?
कई शोध बताते हैं कि अत्यधिक काम करने से कर्मचारियों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। कम लेकिन प्रभावी काम के घंटे रखने से न केवल उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है, बल्कि वे ज्यादा ऊर्जावान और रचनात्मक भी बने रहते हैं। कई कंपनियां अब वर्क-लाइफ बैलेंस को प्राथमिकता देने लगी हैं, जिससे कर्मचारियों का संतोष और उत्पादकता दोनों बढ़ रही है।