Nandan Nilekani के एआई विचार पर अरविंद श्रीनिवास का कड़ा विरोध – पूरी कहानी!
नई दिल्ली, भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के विकास पर चल रही बहस में एक नया मोड़ आया है। पर्प्लेक्सिटी एआई के भारतीय मूल के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने इंफोसिस के सह-संस्थापक Nandan Nilekani की एआई पर उनके रुख की आलोचना की है। उन्होंने यह कहा कि Nandan Nilekani का यह विचार कि भारतीयों को एआई के केवल एक पहलू पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जाए, पूरी तरह से गलत है।
Nandan Nilekani का रुख: एआई पर केवल व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर ध्यान देने की सलाह
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Nandan Nilekani ने हाल ही में भारतीय एआई स्टार्टअप्स को बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) बनाने के बजाय, व्यावहारिक एआई अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी थी। उनका मानना था कि भारतीयों को मौजूदा मॉडल्स पर ही काम करना चाहिए, बजाय इसके कि वे नए मॉडल्स पर ध्यान केंद्रित करें। उनका यह विचार था कि व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर अधिक ध्यान देना जरूरी है, जिससे लोगों को वास्तविक लाभ मिल सके।
अरविंद श्रीनिवास की प्रतिक्रिया: दोनों ही पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी
पर्प्लेक्सिटी एआई के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने इस विचार का विरोध करते हुए कहा कि यह सही नहीं है कि भारतीयों को एआई मॉडल प्रशिक्षण पर ध्यान देने से रोका जाए। उन्होंने यह कहा कि Nandan Nilekani का यह कहना कि भारतीयों को मॉडल प्रशिक्षण कौशल को नजरअंदाज करने के लिए प्रेरित किया जाए, यह पूरी तरह से गलत है। श्रीनिवास का मानना है कि दोनों ही पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है – नए एआई मॉडल्स को ट्रेन करना और मौजूदा मॉडलों के आधार पर काम करना।
एआई में भारत की भूमिका: क्या भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन पाएगा?
अरविंद श्रीनिवास ने भारत के एआई विकास के बारे में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने यह कहा कि भारत को एआई के क्षेत्र में उसी तरह काम करना चाहिए जैसे इसरो ने अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए किया। उन्होंने स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क द्वारा भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की सराहना का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को भी ओपन-सोर्स से मॉडलों का पुनः उपयोग करने के बजाय, अपने खुद के एआई मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए ताकत विकसित करनी चाहिए।
श्रीनिवास का मानना है कि अगर भारत को एआई में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना है, तो उसे अपने एआई मॉडल्स को भारतीय भाषाओं के लिए विकसित करने के साथ-साथ, अंतरराष्ट्रीय मानकों पर भी काम करना होगा।
भारत में एआई की दिशा: क्या बदलाव आएगा?
अरविंद श्रीनिवास का यह भी कहना है कि भारत को अपनी प्रवृत्ति में बदलाव लाना होगा। उन्हें उम्मीद है कि भारत अब ओपन-सोर्स से मॉडलों का पुनः उपयोग करने के बजाय, अपनी खुद की ताकत और क्षमताओं का निर्माण करेगा। उनका उद्देश्य भारत को एआई के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है।
इस विवाद ने भारत के एआई क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म दिया है, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों के विचार अलग-अलग हैं। अब देखना यह होगा कि भारत का एआई क्षेत्र किस दिशा में आगे बढ़ता है और Nandan Nilekani और अरविंद श्रीनिवास के विचारों का क्या असर पड़ेगा।