Dr. Kasturi Rangan: जिनकी सोच से बनी नई शिक्षा नीति, अब इस दुनिया में नहीं रहे!
नई दिल्ली, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध वैज्ञानिक Dr. K. Kasturi Rangan का शुक्रवार सुबह बेंगलुरु में निधन हो गया। वह 10.43 बजे अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन से भारतीय वैज्ञानिक समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है। उनका पार्थिव शरीर रविवार, 27 अप्रैल को बेंगलुरु के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक जनता के अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
इसरो को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया
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Dr. Kasturi Rangan ने 9 साल से अधिक समय तक ISRO, अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग का नेतृत्व किया। उन्होंने 27 अगस्त 2003 को इसरो प्रमुख का पद छोड़ दिया था। उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में कई बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कीं। उन्होंने PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) और GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
शिक्षा क्षेत्र में भी दिया बड़ा योगदान
सिर्फ अंतरिक्ष क्षेत्र ही नहीं, Dr. Kasturi Rangan ने भारत की शिक्षा प्रणाली में भी अहम भूमिका निभाई। वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के पीछे की प्रमुख सोच माने जाते हैं। उन्होंने कर्नाटक ज्ञान आयोग के अध्यक्ष और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कुलाधिपति के रूप में भी सेवा दी।
संसद और योजना आयोग में भी निभाई जिम्मेदारी
2003 से 2009 के बीच, वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। साथ ही, उन्होंने भारत के तत्कालीन योजना आयोग में सदस्य के रूप में भी काम किया। इससे यह साफ है कि विज्ञान के अलावा, नीति निर्माण और प्रशासन में भी उनका अनुभव और ज्ञान अमूल्य था।
उपग्रह विकास में निभाई प्रमुख भूमिका
ISRO के उपग्रह केंद्र के निदेशक रहते हुए उन्होंने INSAT-2, IRS-1A/1B, और अन्य वैज्ञानिक उपग्रहों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। खास बात यह रही कि वे भारत के पहले पृथ्वी अवलोकन उपग्रह भास्कर-I और II के भी परियोजना निदेशक रहे।
खगोल विज्ञान में गहरी रुचि
Dr. Kasturi Rangan एक प्रशिक्षित खगोल भौतिकीविद् थे। उनका शोध कार्य उच्च-ऊर्जा एक्स-रे और गामा किरण खगोल विज्ञान से जुड़ा रहा। उन्होंने ब्रह्मांडीय एक्स-रे स्रोतों, आकाशीय गामा किरणों, और पृथ्वी के वायुमंडल पर उनके प्रभावों का गहराई से अध्ययन किया।
पुरस्कार और सम्मान
उनकी उपलब्धियों को भारत सरकार ने कई बार सम्मानित किया। उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाज़ा गया। ये पुरस्कार उनके बहुआयामी योगदान का प्रमाण हैं।