कश्मीर में Chitra Tripathi पर हमले का वायरल वीडियो! जानिए क्या हुआ?
नई दिल्ली, कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले की रिपोर्टिंग करने के दौरान एबीपी न्यूज की पत्रकार Chitra Tripathi को एक खतरनाक और परेशान करने वाली स्थिति का सामना करना पड़ा। पहलगाम में हिंदू पर्यटकों पर हुए इस हमले की रिपोर्टिंग करते हुए Chitra Tripathi को इस्लामवादी समूह द्वारा घेर लिया गया। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने कश्मीर में मीडिया और पत्रकारों के प्रति बढ़ते हिंसक रुझान को उजागर किया।
वायरल वीडियो में क्या हुआ था?
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इस वीडियो में Chitra Tripathi को स्थानीय महिलाओं को समझाते हुए देखा गया कि वे केवल अपनी रिपोर्टिंग करने आई हैं। लेकिन भीड़ ने उनकी एक न सुनी और लगातार उन्हें परेशान करते रहे। वीडियो में त्रिपाठी को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “मैं पत्रकार हूं, लेकिन आप मुझे गाली दे रहे हैं- यह बहुत गलत है। अगर आप मुझे मारना चाहते हैं, तो मुझे मार दें।” इसके बाद भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने ‘गोदी मीडिया है-है’ के नारे लगाए। यह वीडियो पूरी तरह से कश्मीर के भीतर मीडिया के प्रति बढ़ते नफरत और उत्पीड़न को उजागर करता है।
‘कश्मीरियत’ की सच्चाई या राजनीति का हिस्सा?
वायरल वीडियो के बाद, असम के मंत्री अशोक सिंघल ने इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया और लिखा, “चित्रा त्रिपाठी को लगभग लिंच कर दिया गया था। यह कश्मीर और कश्मीरियत की सच्चाई है। आप उन लोगों के साथ शांति वार्ता नहीं कर सकते जिनका अस्तित्व आपके विनाश पर निर्भर करता है।” इस बयान से कश्मीर की जटिल और खतरनाक स्थिति को साफ तौर पर दर्शाया गया है, जहां पत्रकारों और विशेषकर हिंदू समुदाय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।
मीडिया की स्थिति और उत्पीड़न
इस वीडियो पर कई वरिष्ठ पत्रकारों ने भी प्रतिक्रिया दी है। पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने इसे शर्मनाक घटना बताया और उन लोगों से पूछा, “अगर हिम्मत है तो पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाओ।” उनका यह सवाल न केवल इस घटना को बल देता है, बल्कि कश्मीर में बढ़ते आतंकवादी हमलों और इसके पीछे की राजनीति को भी उजागर करता है। पत्रकारों को लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, जो उनके पेशेवर जीवन के लिए खतरनाक है।
आतंकी हमलों के बाद पत्रकारों की स्थिति
वायरल वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग Chitra Tripathi को हिम्मत से काम लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग इस उत्पीड़न को सही ठहरा रहे हैं। उनके उत्पीड़न को सही ठहराने वाले लोग ‘गोदी मीडिया’ पर आरोप लगा रहे हैं कि वह इस्लामी आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में हिंदुओं को निशाना बनाने को अधिक दिखा रहे हैं। इसके बावजूद, यह घटना कश्मीर में पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सुरक्षा के मुद्दे को और भी जटिल बना देती है।
कश्मीर में पत्रकारिता की चुनौती
कश्मीर में पत्रकारिता करना आजकल बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। आतंकवादियों के हमलों, राजनीतिक तनाव और धार्मिक उत्पीड़न के बीच पत्रकारों को अपनी सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना पड़ता है। Chitra Tripathi पर हुआ हमला इस बात का उदाहरण है कि कश्मीर में मीडिया को नियंत्रित करने के लिए कैसे हिंसा का सहारा लिया जा रहा है। इस स्थिति में पत्रकारों का समर्थन और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है, ताकि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष रिपोर्टिंग कर सकें।