Sant Ravidas Jayanti: वह महान संत, जिन्होंने समाज को बदल दिया!
Sant Ravidas Jayanti: नई दिल्ली, संत रविदास जी का जन्म माघ माह की पूर्णिमा को 1398 में काशी (वर्तमान वाराणसी, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। वे एक महान संत, समाज सुधारक और कवि थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जीवन सामाजिक भेदभाव और छुआछूत जैसी कुरीतियों को दूर करने के लिए समर्पित था। उन्होंने अपने जीवनभर समानता, भाईचारे और प्रेम का संदेश दिया।
संत रविदास के गुरु और शिष्य
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संत रविदास के विचारों से न केवल आम लोग बल्कि कई महान हस्तियां भी प्रभावित हुईं। प्रसिद्ध भक्त मीराबाई भी उनकी शिष्या थीं। मीराबाई ने अपने कई भजनों में अपने गुरु संत रविदास जी का उल्लेख किया है। उनके भजन में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है:
“गुरु मिलिया संत गुरु रविदास जी, दीन्ही ज्ञान की गुटकी।”
मीराबाई ने संत रविदास से ही भक्ति का मार्ग अपनाया और अपनी पूरी जिंदगी भक्ति और साधना में लगा दी।
समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ संत रविदास का योगदान
संत रविदास ने जात-पात, छुआछूत और ऊंच-नीच जैसी कुरीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने हमेशा आंतरिक शुद्धता और सच्ची भक्ति को ही भगवान की प्राप्ति का साधन बताया। उनका प्रसिद्ध कथन “मन चंगा तो कठौती में गंगा” इस बात को दर्शाता है कि अगर मन और हृदय पवित्र हैं, तो किसी भी तीर्थ यात्रा की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने समाज में समरसता और समानता की भावना को बढ़ावा दिया।
संत रविदास की काव्य रचनाएं और भाषा
संत रविदास ने अपनी कविताओं और भजनों के माध्यम से समाज को जागरूक किया। उनकी रचनाओं की भाषा सरल और सहज थी, जिससे आम जनता भी आसानी से उनके विचारों को समझ पाती थी। उन्होंने ब्रजभाषा, अवधी, राजस्थानी और खड़ी बोली का प्रयोग किया। उनकी रचनाओं में रूपक और उपमा अलंकार विशेष रूप से देखने को मिलते हैं।
कबीर के समकालीन संत रविदास
संत रविदास जी संत कबीर के समकालीन थे और दोनों ही समाज सुधार के मार्ग पर चले। संत कबीर ने भी उनकी महानता को स्वीकारते हुए कहा था, “संतन में रविदास”। इसका अर्थ है कि संतों की श्रेणी में संत रविदास का स्थान बहुत ऊंचा है।
संत रविदास की शिक्षा और उनके विचार
- समानता का संदेश: उन्होंने जाति और धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म बताया।
- भक्ति मार्ग का प्रचार: उन्होंने दिखावे और आडंबर से बचने की सीख दी और सच्चे प्रेम और भक्ति को महत्व दिया।
- आंतरिक शुद्धता: उन्होंने सिखाया कि बाहरी पूजा-पाठ से ज्यादा जरूरी मन और आत्मा की पवित्रता है।
Sant Ravidas Jayanti का महत्व
Sant Ravidas Jayanti पूरे भारत में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भव्य रूप से मनाई जाती है। इस दिन भक्तगण उनकी शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लेते हैं। कई स्थानों पर शोभायात्राएं निकाली जाती हैं और उनकी रचनाओं का पाठ किया जाता है।