India Gate से क्यों हटाई गई ‘अनंत लौ’? जानिए पूरी कहानी!

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नई दिल्ली, 1971 का युद्ध भारतीय इतिहास में एक ऐसा अध्याय है जिसने भारतीय सेना को नई पहचान दिलाई। 1962 की हार और 1965 के युद्ध के अनुभवों से सबक लेकर, भारत ने 1971 में बांग्लादेश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस जीत ने भारतीय सेना की क्षमता और संकल्प का परिचय दिया।

अमर जवान ज्योति: बलिदान का प्रतीक

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इस ऐतिहासिक विजय को सम्मानित करने के लिए 1972 में नई दिल्ली के India Gate पर अमर जवान ज्योति की स्थापना की गई। यह लौ उन वीर सैनिकों की याद में जलती रही जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी। गणतंत्र दिवस पर हर साल प्रधानमंत्री इस ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

India Gate: देशभक्ति और लोक संस्कृति का केंद्र

India Gate, जहां अमर जवान ज्योति स्थापित थी, सिर्फ एक स्मारक नहीं बल्कि देशभक्ति का प्रतीक बन गया। यहां लोग अपने बच्चों के साथ आते, गुब्बारे खरीदते और फोटो खिंचवाते। यह जगह फिल्मों का पसंदीदा स्थान बन गई, जैसे ‘रंग दे बसंती’ के गाने ‘अपनी तो पाठशाला’ में इसे दिखाया गया।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक: नया स्थान, नया सम्मान

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2019 में, अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (एनडब्ल्यूएम) में स्थानांतरित कर दिया गया। यहां यह ‘अनंत लौ’ के साथ मिल गई, जो सभी युद्धों में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित है। युद्ध स्मारक उन सैनिकों के नामों को संजोए हुए है जिन्होंने आजादी के बाद से अपने प्राण त्यागे। यहां आने वाले लोग भावुक हो जाते हैं जब वे अपने प्रियजनों के नाम दीवारों पर देखते हैं।

India Gate की ‘जन भावना’ और एनडब्ल्यूएम की गंभीरता

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हालांकि India Gate आम लोगों के लिए अधिक सुलभ था, लेकिन राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ने देश के सैनिकों के प्रति गहरे सम्मान की भावना को प्रकट किया है। विजय दिवस पर एनडब्ल्यूएम पर पुष्पांजलि अर्पित की जाती है, जो इस स्मारक की पवित्रता को और बढ़ा देती है।

लेखक की यादें: 1971 की ऐतिहासिक घोषणा

लेखक, जो उस समय ग्यारहवीं कक्षा में था, ऑल इंडिया रेडियो पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज को सुनते हुए कहता है, “ढाका अब एक आज़ाद देश की आज़ाद राजधानी है।” यह पल न केवल ऐतिहासिक था, बल्कि India Gate की ‘अनंत लौ’ के रूप में देशभक्ति की भावना को भी अमर कर गया।

‘India Gate भावना’: एक अद्वितीय विरासत

India Gate की ‘अनंत लौ’ ने इसे एक राष्ट्रीय पंथ बना दिया था, जो अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में समाहित हो गया है। हालांकि नई पीढ़ी एनडब्ल्यूएम को एक नई पहचान दे रही है, लेकिन India Gate की ‘जन भावना’ हमेशा भारतीयों के दिलों में जीवित रहेगी।

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