Surya Grahan के समय आपको क्या करना चाहिए? 2025 के ग्रहणों से जुड़ी रहस्यमयी बातें!
Surya Grahan: नई दिल्ली, ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो न केवल विज्ञान में महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत में इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व भी है। इसे विशेष रूप से ‘सूतक काल’ से जोड़ा जाता है, जो किसी भी ग्रहण से पहले का समय होता है। इस साल 2025 में कुल चार ग्रहण होंगे, जिनमें से दो Surya Grahan और दो चंद्र ग्रहण शामिल हैं। इन ग्रहणों का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि इनमें से एक ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। आइए जानते हैं कि 2025 में यह ग्रहण कब और कहां होंगे।
1. साल 2025 का पहला ग्रहण: चंद्र ग्रहण (14 मार्च 2025)
साल 2025 का पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण होगा, जो 14 मार्च को लगेगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 39 मिनट 3 सेकंड पर शुरू होगा और दोपहर 2 बजकर 18 मिनट 2 सेकंड पर समाप्त होगा। यह ग्रहण अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, पश्चिमी अफ्रीका और उत्तरी व दक्षिणी अटलांटिक महासागर में देखा जा सकेगा।
2. दूसरा ग्रहण: आंशिक Surya Grahan (29 मार्च 2025)
साल 2025 का दूसरा ग्रहण एक आंशिक Surya Grahan होगा, जो 29 मार्च को लगेगा। यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 2 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। यह ग्रीनलैंड, आइसलैंड, पश्चिमी रूस और यूरोप में देखा जा सकेगा।
3. तीसरा ग्रहण: पूर्ण चंद्र ग्रहण (7 सितंबर 2025)
साल 2025 का तीसरा ग्रहण एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत में दिखाई देगा। यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात 9 बजकर 56 मिनट 8 सेकंड पर शुरू होगा और आधी रात में 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। इस ग्रहण को भारत के अलावा अंटार्कटिका, एशिया, यूरोप और हिंद महासागर के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। यह ग्रहण खास इसलिए है, क्योंकि इसे भारत में देखा जा सकेगा और इसके धार्मिक महत्त्व के कारण लोग इसका ध्यान रखते हैं।
4. चौथा ग्रहण: Surya Grahan (21-22 सितंबर 2025)
साल 2025 का चौथा ग्रहण Surya Grahan होगा, जो 21 और 22 सितंबर के बीच लगेगा। भारतीय समय के अनुसार, यह Surya Grahan 21 सितंबर को रात 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा और 22 सितंबर को तड़के 3 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन यह पूर्वी मेलानेशिया, दक्षिणी पोलिनेशिया और न्यूजीलैंड में देखा जा सकेगा।
ग्रहण का महत्व
ग्रहणों का खगोलीय महत्त्व तो है ही, साथ ही इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व भी बहुत अधिक है। भारत में ग्रहणों को लेकर अनेक मान्यताएँ और परंपराएँ हैं। कई लोग इसे एक प्रकार के ऊर्जा परिवर्तन के रूप में मानते हैं और इस दौरान विशेष पूजा-पाठ, व्रत और अन्य धार्मिक गतिविधियों का आयोजन करते हैं। इसके अलावा, कई लोग ग्रहण के दौरान विशेष रूप से भोजन करने और अन्य कार्यों से बचते हैं, क्योंकि इसे अशुभ समय माना जाता है।
ग्रहण के समय ध्यान रखने योग्य बातें
ग्रहण के दौरान कुछ खास सावधानियाँ रखी जाती हैं। मान्यता है कि ग्रहण के समय घर में कोई नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए और विशेष रूप से भोजन करने से बचना चाहिए। इस समय को मानसिक शांति और ध्यान लगाने के लिए उपयोगी माना जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ग्रहणों के दौरान पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच विशेष खगोलीय संरेखण होता है, जो एक अद्भुत दृश्य उत्पन्न करता है।