क्यों राजनीति से दूर रहे आचार्य किशोर कुणाल, जानिए उनके फैसले की वजह
नई दिल्ली, बिहार के पूर्व आईपीएस अधिकारी और महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का रविवार, 29 दिसंबर की सुबह निधन हो गया। कार्डियक अरेस्ट की वजह से उन्होंने महावीर वत्सला अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान और धर्मार्थ कार्यों में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
ईमानदारी और कड़क स्वभाव वाले थे आईपीएस अधिकारी
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आचार्य किशोर कुणाल को उनके ईमानदार और कड़क स्वभाव के लिए जाना जाता था। वे एक दृढ़ निश्चयी अधिकारी थे, जिन्होंने बिहार पुलिस सेवा में रहते हुए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उनकी सख्ती और न्यायप्रियता ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई।
आईपीएस की सेवा से रिटायर होने के बाद उन्होंने आध्यात्म का मार्ग चुना और बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष बने। इस भूमिका में भी उन्होंने धर्म और समाज के उत्थान के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए।
महावीर मंदिर के माध्यम से किए अभूतपूर्व कार्य
पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर के सचिव रहते हुए आचार्य किशोर कुणाल ने धर्म और समाज सेवा का एक नया अध्याय लिखा। उनके नेतृत्व में महावीर मंदिर ने महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर नेत्रालय, और महावीर वात्सल्य अस्पताल जैसे कई धर्मार्थ संस्थानों की स्थापना की। इन संस्थानों ने हजारों लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कीं और समाज में परोपकार की मिसाल पेश की।
दलित पुजारी और गरीब बच्चों के लिए विशेष प्रयास
समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए उन्होंने महावीर मंदिर में एक दलित पुजारी नियुक्त कर एक मिसाल कायम की। इसके अलावा, गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए उन्होंने पटना में ज्ञान निकेतन स्कूल की स्थापना की। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कोई गरीब भूखा न सोए, और इसके लिए “संगत-पंगत” जैसी पहल शुरू की।
राजनीति से रहे दूर, आध्यात्म को दिया महत्व
भले ही आचार्य किशोर कुणाल का परिवार राजनीति में सक्रिय रहा, लेकिन उन्होंने हमेशा खुद को राजनीति से दूर रखा। जेडीयू के मंत्री अशोक चौधरी उनके समधी हैं और उनकी बहू शांभवी चौधरी समस्तीपुर से सांसद हैं। इसके बावजूद उन्होंने अपने धर्म और समाजसेवा के रास्ते को ही प्राथमिकता दी।
लोकसभा चुनाव के दौरान जब शांभवी के रणनीतिकारों ने उनसे वोटर्स को एक संदेश भेजने का आग्रह किया, तो उन्होंने इसे ठुकरा दिया। उनका कहना था, “चुनावी जीत के लिए मैं अपने हनुमान जी के साथ छल नहीं कर सकता।”
समाजसेवा और धर्म के प्रति समर्पण की अनोखी मिसाल
आचार्य किशोर कुणाल का जीवन समाज सेवा और धर्म के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता है। उन्होंने न केवल धर्म के क्षेत्र में बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए भी अपनी जिंदगी समर्पित कर दी। उनके योगदान को बिहार और देशभर में हमेशा याद किया जाएगा।