महाशिवरात्रि के पर्व पर, 2 भागों में बंटा शिवलिंग हो जाता है ‘एक’ – अदभुद किन्तु सत्य

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हिमाचल, कांगड़ा, Sawan Start Date 2022: इस वर्ष सावन का पवित्र महीना 14 जुलाई 2022 से शुरू होने जा रहा है। सावन के इस महीने में हर सोमवार को शिव मंदिरों में भक्तों का भारी सैलाब दिखाई देता है। मंदिरों में भगवान शिव के जयकारे ‘हर हर महादेव’ गूंजते सुनाई देते हैं। सावन के इस पवित्र माह (Sawan Start Date 2022) में हम आपके लिए एक ऐसे शिव मंदिर की कहानी लेकर आए हैं जो एक तरह से अदभुद तो है ही किन्तु ये बिल्कुल सत्य है।

कांगड़ा स्थित काठगढ़ शिव मंदिर (Sawan Start Date 2022)

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हम आपको काठगढ़ के प्राचीन शिव मंदिर (Kathgarh Mahadev Mandir) के बारे में बताने जा रहे हैं जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के डमटाल से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह प्राचीन शिव मंदिर केवल काठगढ़ में ही नहीं ​बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश में बहुत ही लोकप्रिय है क्योंकि इस मंदिर के साथ एक अदभुद प्राकृतिक घटना जुड़ी है।

इस प्राचीन शिव मंदिर (Kathgarh Mahadev Mandir) में हिमाचल प्रदेश के आस पास के राज्यों से भी भारी संख्या में भक्त आते हैं। यहा पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर राज्यों से श्रृद्धालुओं का आगमन होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये शिव मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें शिवलिंग दो भागों में बंटा हुआ है लेकिन इसमें हैरानी की बात है कि यह 8 फीट उंचा शिवलिंग, महाशिवरात्रि के पर्व के दौरान एक हो जाता है जो कि एक अदभुद प्राकृतिक घटना है।

सावन में काठगढ़ शिव मंदिर में भारी भीड़

काठगढ़ के इस प्राचीन शिव मंदिर में सावन के महीने (Sawan Start Date 2022) में शिवलिंग के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। सावन के हर सोमवार के दिन यहां 20 से 25 हजार श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में इतनी अत्याधिक भीड़ के कारण प्रंगण में पैर रखने की भी जगह शेष नहीं बचती। सोमवार ही नहीं, सप्ताह के अन्य दिनों में भी इस प्राचीन शिव मंदिर में हजारों भक्तों का आगमन होता है।

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Sawan Start Date 2022

इस प्राचीन शिव मंदिर पर हर साल 3 दिन के मेले का आयोजन भी किया जाता है। मंदिर पर मेला लगने के दौरान और सावन के महीने में (Sawan Start Date 2022) यहां भारी भीड़ दिखाई देती है। हिमाचल प्रदेश और आस-पास के राज्यों से यहां आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

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काठगढ़ शिव मंदिर का इतिहास

काठगढ़ का ये शिव मंदिर (Kathgarh Mahadev Mandir) सिंकदर के जमाने का है जो 326 ईसा पूर्व बनवाया गया था। सिकंदर अपनी 5000 सेना के साथ पंजाब आया और पंजाब में घुसने से पहले उसने मीरथल नाम के गांव में अपने सैनिकों के साथ खुले आसमान के नीचे विश्राम किया। इसी दौरान सिकंदर की नज़र शिवलिंग की पूजा करते एक पंडित पर पड़ी। सिकंदर ने पंडित को अपने साथ यूनान चलने का निमंत्रण दिया और कहा कि आपको हर तरह का ऐश्वर्य दिया जाऐगा।

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पंडित ने सिकंदर की बात को अनसुना कर दिया और कहा कि आप थोड़ा पीछे हटें और सूर्य का प्रकाश यहां तक आने दें। पंडित की इस बात से सिकंदर प्रभावित हुआ और मंदिर बनावाने का निर्णय लिया। उसने उंचाई पर महादेव शिव का मंदिर बनवाने के लिए भूमि को समतल कराते हुए मंदिर का निर्माण कराया और चबूतरे बनवाए जो आज भी यहां मौजूद हैं।

महाराजा रणजीत सिंह का मंदिर में योगदान

कालान्तर में महाराजा रण​जीत सिंह राजा बने और उन्होने गद्दी संभालने के बाद मंदिरों का भ्रमण किया। महाराजा रणजीत सिंह जब काठगढ़ के इस प्राचीन शिव मंदिर (Kathgarh Mahadev Mandir) पहुंचे तो वे आनंदित हुए। उन्होने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और पूजा अर्चना करते हुए आगे निकले। यह अर्धनारीश्वर शिवलिंग रूप ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर बढ़ता घटता रहता है और महाशिवरात्रि के दिन दोनों शिवलिंग एक हो जाते हैं।

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